परकोटे का विश्व विरासत खिताब बचाना चुनौती तो टाउन हॉल म्यूजियम के काम में कोई सुधार नहीं

परकोटे को विश्व विरासत का खिताब मिले 6 महीने हो गए, लेकिन इसे बरकरार रखने के लिए फील्ड में काम होता नहीं दिख रहा। उधर, सवाई मानसिंह टाउन हाॅल (पुरानी विधानसभा) की खोई आभा लौटाने के लिए सरकार जितनी सक्रिय दिखी, विभाग और अफसर उतने ही निष्क्रिय। इसके काम में कोई सुधार नहीं आ सका है।


केस 1: परकोटा बचाने वाली हेरिटेज सैल ही फुलचार्ज नहीं


परकोटे को बचाने के लिए बनी हेरिटेज सैल ही डिस्चार्ज हो रखी है। सैल के निर्देश में जो कामकाज आगे बढ़ने हैं, उसमें जरूरी कंसल्टेंट, आर्किटेक्चर आदि की नियुक्ति भी नहीं हो पाई है। इसी बीच फरवरी के पहले सप्ताह में यूनेस्को के सीनियर अधिकारी यहां आ रहे हैं। ऐसे में उन्हें भी कागजी सपने दिखाने की तैयारी है।


पूरी चारदीवारी में अतिक्रमण, ट्रैफिक के हालत खराब


पूरी चारदीवारी में जगह-जगह अतिक्रमण है। ट्रैफिक के हालात बुरे हैं। एक बड़ी जिम्मेदारी इंटेक के जरिए 1500 से ज्यादा बिल्डिंग के सर्वे, लिस्टिंग का काम पूरा करना है। करीब 12 लाख का वर्कऑर्डर दिया है। फिलहाल 600 बिल्डिंग का सर्वे करना है। अतिरिक्त आयुक्त अरुण गर्ग के मुताबिक परकोटे का ड्रोन सर्वे कराया है। यूनेस्को से जो काम मिले हैं, उनको समय पर कराएंगे।


नए निर्माण पर रोक, पर जो छेड़छाड़ हो चुकी उसका क्या?
इस महीने के अंत तक बिल्डिंग बॉयलॉज फाइनल होंगे। गाइडलाइन तैयार हो गई है। अभी तक नो कंस्ट्रक्शन जोन है। नए निर्माण के लिए अनुमति नहीं होगी। पुराने निर्माण पर सुधार के काम भी तकनीकी कमेटी के अनुसार होंगे। अगर कोई व्यक्ति अपने स्तर पर तोड़फोड़ कर नया निर्माण करता है तो उससे 60 दिन में पुराने हिसाब से कार्रवाई करनी होगी। पर सच ये है कि परकोटे में हेरिटेज के साथ काफी छेड़छाड़ पहले ही हो चुकी है।


केस 2: टाउन हॉल बिगाड़ने वाले अब भी सुस्त


राज्य सरकार टाउन हॉल में विश्व स्तरीय राजस्थान धरोहर संग्रहालय बनाने जा रही है। इसके लिए 5 साल में दूसरी बार घोषणा की गई। पहली घोषणा में 10 करोड़ के अधूरे काम से बिल्डिंग की हालात ही खराब की गई। अब वर्ल्ड क्लास म्यूजियम बनाने के लिए कंसल्टेंट तक नियुक्त नहीं किया जा सका है।


सरकार कुछ करें, अफसर आपका आदेश नहीं मानते


पिछली भाजपा सरकार नेम म्यूजियम के लिए 10 करोड़ रुपए जारी किए थे। म्यूजियम की घोषणा के बाद पिछले 5 साल में उनके कार्यकाल में कोई काम नहीं हुआ। इससे फर्म भी चली गई और करोड़ों की बेकद्री की जिम्मेदारी भी तय नहीं हो पाई। अब एक बार फिर सरकार की घोषणा पर अफसर कान नहीं कर रहे। पूरे आमेर विकास प्राधिकरण में तो सुस्ती छाई ही है। इनको हरकत में लाने वाले मुखिया और बड़े अफसर भी सुस्त हैं।


हालात ऐसी : 3 एक्सईएन, एसई सहित 7 पद खाली
इधर पूरे आमेर विकास प्राधिकरण के हालात कई साल से खराब पड़े हैं। अफसर जवाबदेही से बचते हैं तो 3 एक्सईएन, एसई सहित 7 का इंजीनियरिंग स्टाफ खाली है। जब यही हाल रहना तो पूरे प्राधिकरण की जरूरत को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। ईडी एके गुप्ता ने कहा कि म्यूजियम को लेकर कंसल्टेंट नियुक्त करने के लिए जल्द फैसला होगा। इसके बाद नए सिरे से काम आगे बढ़ाने हैं।